Wednesday, November 13, 2013

रात पुरानी सी क्यों लगती है।



सब कुछ पा कर भी कुछ कमी सी क्यों लगती है?  
सहेर होते ही ये रात पुरानी सी क्यों लगती है? 

दिन गुजर जाते है जद्दो-जहेत में, शाम आते ही तन्हाई सी क्यों लगती है? 
सुखचैन पाने कोशिश में रहते है सभी, पर दिल में बैचैनी क्यों लगती है? 

खुशिया मिल भी जाये बहोत, फिर भी आँख में नमी सी क्यों लगती है? 
मंज़िल के काफी करीब जाने पर भी, थोड़ी दुरी सी क्यों लगती है? 

स्वादिष्ट भोजन के बाद हमेशा, पेट बदहज़मी सी क्यों लगती है? 
चुनाव के दौरान राजनीति कोई मौसमी बीमारी सी क्यों लगती है? 

इंतज़ार में आप के कुछ देर से, ये दुनिया थमी-थमी सी क्यों लगती है? 
आपके आने बाद ही ये महेफिल  अब जाके जमी सी क्यों लगती है?